लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2650
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?

अथवा
जातिवाद सम्प्रदायवाद का दूसरा रूप है।

उत्तर -

साम्प्रदायिकता की समस्या के कारण
(Problem of Communalism : Causes)

यह प्रश्न विशेष महत्व का है कि स्वाधीनता प्राप्ति के बाद भी भारत में साम्प्रदायिकता के तत्व क्यों दिखाई देते हैं? स्वाधीनता से पूर्व अंग्रेजों ने 'फूट डालो और राज करो' की नीति अपनायी थी, किन्तु देश के विभाजन के बाद राष्ट्रीय सरकार की स्थापना के पश्चात् भी साम्प्रदायिकता का रंग क्यों दिखलायी देता है? इसके निम्न कारण हैं—

(1) मुसलमानों में पृथक्करण की भावना - ऐसा माना जाता है कि मुसलमानों में पृथक्करण की भावना आज भी विद्यमान है और वे अपने को राष्ट्रीय धारा में समाविष्ट नहीं कर पाये। अनेक मुस्लिम नेताओं ने स्वाधीनता के बाद इस बात का प्रचार किया कि उन्हें मुख्य राष्ट्रीय प्रवाह में शामिल होने के लिए ऐसे राजनीतिक दलों को सहयोग देना चाहिए जिनका विश्वास धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद तथा आर्थिक न्याय में है, परन्तु इन विचारों का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा और अनेक मुस्लिम नेताओं और संगठनों ने इस बात का प्रचार किया कि मुस्लिम सम्प्रदाय के हितों की सुरक्षा के लिए उन्हें पृथक् रूप से भाग लेना चाहिए। 'जमायत - ए - इस्लाम' ने मुस्लमानों को सलाह दी कि पहले आम चुनावों में भाग नहीं लेना चाहिए। ऐसे ही एक दूसरे संगठन 'जमीयत-उल-उलेमा ए हिन्दू' ने भी मुसलमानों को राष्ट्रीय राजनीति से पृथक् रहने की सलाह दी। 1948 में मुस्लिम लीग ने पृथक निर्वाचन की माँग की। 1961 में 'अखिल भारतीय मुस्लिम लीग' की स्थापना की गयी और यह प्रचार किया गया कि भारत में मुस्लिम लीग ही मुस्लिम हितों का संरक्षण कर सकती है। सन् 1971 के मध्यावधि चुनावों के समय नई दिल्ली में देश के अधिकांश भागों के मुस्लिम प्रतिनिधियों ने अखिल भारतीय राजनीतिक सम्मेलन आयोजित किया। इसके पीछे जमात-ए-इस्लाम का हाथ था। इस प्रकार अनेक धर्मान्ध मुस्लिम संगठनों ने सम्प्रदायवाद का स्वतन्त्रता के बाद भी कभी उन्मूलन नहीं होने दिया।

(2) मुसलमानों का आर्थिक दृष्टि से पिछड़ापन - यह बात सच है कि अंग्रेजी काल से ही मुसलमान आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुये रहे हैं। स्वाधीनता के बाद भी उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं हो पायी। शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े होने के कारण सरकारी नौकरियों, व्यापार एवं उद्योग-धन्धों में उनकी स्थिति नहीं सुधर पायी। आज भी उनका आधुनिकीकरण नहीं हो पाया है। इससे उनमें असन्तोष बढ़ा और उनका मनोबल भी गिरा है। कभी-कभी यह असन्तोष उग्र रूप ले लेता है और कभी-कभी यह असन्तोष हिंसा के रूप में प्रकट होता है।

आर्थिक कारणों से साम्प्रदायिक दंगों का सम्बन्ध भारत सरकार के कृषि मंत्रालय की एक शोध रिपोर्ट से भी स्पष्ट होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तरी हिन्दी भाषी क्षेत्र में 50% अतिरिक्त भूमि का सही वितरण न हो पाना बढ़ती साम्प्रदायिकता का बड़ा कारण है।

(3) पाकिस्तानी प्रचार - जब कभी भारत में हिन्दू-मुस्लिम तनाव की कोई छुट-पुट घटना हो जाती है तो पाकिस्तानी रेडियो तथा समाचार-पत्र इसको तूल देने का प्रयास करते हैं। वे भारत सरकार की आलोचना करते हैं और ऐसी घटनाओं को हिन्दुओं द्वारा मुसलमानों का जातिवध (Genocide) कहकर पुकारते हैं। पाकिस्तान ऐसा इसलिए करता है जिससे वह भारत की धर्मनिरेपक्ष राष्ट्रवादी भावनाओं को उत्तेजित कर सके। भारत में गरीब और अशिक्षित मुसलमान यह मान बैठते हैं कि पाकिस्तान उनके हितों की रक्षा के लिए कह रहा है।

(4) संकुचित हिन्दू राष्ट्रवाद - भारत के हिन्दू-सम्प्रदाय में भी ऐसे लोग तथा गुट हैं जो धर्मान्धता की संकीर्ण भावनाओं से ओत-प्रोत हैं। हिन्दू महासभा तथा विश्व हिन्दू परिषद् जैसे संगठनों ने हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को बराबर उत्तेजित किया है। ये लोग यहाँ तक कहते हैं कि भारत हिन्दुओं का देश है और हिन्दू धर्म के अनुयायियों को ही इस देश में निवास करने का अधिकार है। विश्व हिन्दू परिषद् को मुसलमानों का कट्टर विरोधी माना जाता है क्योंकि इसके समर्थक भारतीय राष्ट्रीयता का आधार 'हिन्दुत्व' को मानते हैं। इस प्रकार की संकीर्ण मनोवृत्ति साम्प्रदायिकता उत्पन्न करती है।

(5) सरकार की उदासीनता - सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण भी कभी-कभी साम्प्रदायिक दंगे हो जाते हैं। सामान्य सी घटना प्रशासन की असावधानी के कारण कई बार साम्प्रदायिक दंगों का रूप ले लेती है। शाहबानो के मामले में राजीव सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं माना और साम्प्रदायिक दबाव के चलते मुस्लिम महिला विधेयक पास करवाया; अब विश्व हिन्दू परिषद् कहती है कि वह भी राम जन्म भूमि के मामले में लखनऊ हाईकोर्ट का फैसला मानने के लिए बाध्य नहीं है।

वस्तुतः दोनों ही सम्प्रदायों की गहन धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है, यह दर्शाने के लिए कि एक सम्प्रदाय दूसरे को नष्ट करने पर उतारू है, उनके रीति-रिवाजों और व्यवहारों में अन्तर को उछाला जा रहा है। अतएव ऐसे मामलों का भी कोई स्थायी समाधान नहीं खोजा जा सकता कि जिन्हें सुनकर भी अधिकांश अन्य देशों में लोग हंस ही सकते हैं। जैसे कि मस्जिदों के सामने संगीत या हिन्दुओं द्वारा पावन मानी जाने वाली गौ का वध अथवा हिन्दू धार्मिक समारोहों के अवसर पर मुसलमानों पर गुलाल अथवा रंग डाले जाने आदि के मामले हैं।

किसी भी सभ्य समाज में ऐसे मामलों को स्थानीय समुदाय खुद ही आपस में विचार-विमर्श करके निपटा लेते हैं और वे एकता के बारे में आवश्यकता होने पर हर समुदाय में प्रचलित रीति-रिवाजों को ध्यान में रखकर रियायतें बरतते हैं। कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए दोनों ही सम्प्रदायों के समझदार लोगों ने कभी कोशिश ही नहीं की है, किन्तु दोनों ही सम्प्रदायों के निहित स्वार्थी तत्वों के सतत् प्रचार ने एक ऐसा वातावरण बना दिया है, जिससे समस्या का हल खोजा जाना असम्भव-सा ही प्रतीत होता है। पराजित राजनीतिज्ञ और पार्टियाँ विशेष रूप से दोषी हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  2. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  3. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  5. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  6. प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  7. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
  9. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
  12. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
  13. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
  14. प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
  15. प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
  16. प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
  17. प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
  18. प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
  20. प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
  21. प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
  22. प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
  23. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
  25. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  26. प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
  28. प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
  29. प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
  30. प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
  31. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  32. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
  33. प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
  34. प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
  35. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
  36. प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
  38. प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  40. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
  43. प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
  46. प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
  47. प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
  48. प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
  49. प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
  50. प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
  51. प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
  52. प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
  54. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  55. प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
  56. प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
  60. प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  62. प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
  63. प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
  64. प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  65. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  66. प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
  67. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  69. प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
  70. प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
  71. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  73. प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  77. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  78. प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
  79. प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
  82. प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
  83. प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
  84. प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
  85. प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
  86. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
  87. प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
  88. प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
  89. प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  90. प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
  91. प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
  92. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
  93. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
  94. प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
  95. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  96. प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
  97. प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
  99. प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
  100. प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  102. प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
  104. प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
  105. प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
  106. प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
  111. प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
  113. प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
  114. प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
  115. प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
  116. प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
  117. प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
  118. प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book